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Radha Krishna Shayari in Hindi:आज हम इस ब्लॉग पर आपके लिए लेकर आए हैं राधा कृष्ण शायरी, राधा कृष्ण सुप्रभात शायरी, राधा कृष्ण दर्द भरी शायरी, कृष्ण प्रेम शायरी, राधा कृष्ण शायरी इमेज श्री राधा और कृष्ण जी के बारे में ऐसा कौन होगा जिसने कभी सुना नहीं होगा। सभी जानते है की राधा और कृष्ण एक दूसरे से प्रेम करते थे. और इतना प्रेम करते थे की कृष्ण जी शरीर हैं राधा रानी आत्मा है। जैसे सूर्य और प्रकाश जैसे चन्द्रमा और चकोर. कृष्ण गीत हैं तो राधा संगीत हैं, कृष्ण वंशी हैं तो राधा स्वर हैं, कृष्ण समुद्र हैं तो राधा तरंग हैं, कृष्ण पुष्प हैं तो राधा उस पुष्प कि सुगंध हैं. राधा जी कृष्ण जी की अल्हादिनी शक्ति हैं राधा-की-चाहत-है-कृष्णा. वह दोनों एक दूसरे से अलग हैं ही नहीं. ठीक वैसे जैसे शिव और हरि एक ही हैं. आपको अगर हमारा पसंद आ रहा है तो आप आपके family रिश्तेदारऔर friends के साथ facebook ,instagram, watsapp आदि में शेयर कीजिए.
Radha Krishna Shayari in Hindi
कृष्ण की प्रेम बाँसुरिया सुन भई वो प्रेम दिवानी जब-जब कान्हा मुरली बजाएँ दौड़ी आये राधा रानी।
कान्हा तुझे ख्वाबों में पाकर दिल खो ही जाता हैं
खुदको जितना भी रोक लू, प्यार हो ही जाता हैं।
राधा कृष्ण का मिलना तो बस एक बहाना था, दुनिया को प्यार को सही मतलब जो समझना था.
जीवन ना तो भविष्य में है और नाही अतीत में,
जीवन तो केवल कृष्णा के ध्यान में है।
जय श्री कृष्णा.
पाने को ही प्रेम कहे, जग की ये है रीत
प्रेम का सही अर्थ समझायेगी, राधा-कृष्णा की प्रीत।
एक तरफ साँवले कृष्ण, दूसरी तरफ राधिका गोरी,
जैसे एक-दूसरे से मिल गए हों चाँद-चकोरी.
कृष्ण की प्रेम बाँसुरिया सुन भई वो प्रेम दिवानी,
जब-जब कान्हा मुरली बजाएँ दौड़ी आये राधा रानी.
राधा कहती हैं दुनियावालों से, तुम्हारे और मेरे प्यार में बस इतना अंतर हैं,
प्यार में पड़कर तुमने अपना सबकुछ खो दिया, और मैंने खुद को खोकर सबकुछ पा लिया।
प्यार दो आत्माओं का मिलन होता है ठीक वैसे ही जैसे,
प्यार में कृष्ण का नाम राधा और राधा का नाम कृष्ण होता है।
मेरे पास गोपियाँ तो बहुत हैं,
पर मेरा मन मेरी राधा के सिवा कहीं लगता ही नही।
राधे राधे बोल, श्याम भागे चले आएंगे,
एक बार आ गए तो कबू नहीं जायेंगे.
इश्क राधा ने किया था जिसको Krishna की दूरियां भी मंजूर थी और रुक्मणी भी काबुल थी.
हे कान्हा, तुम्हे पाना जरूरी तो नहीं,
तुम्हारा हो जाना ही काफी हैं मेरे लिए..!!
प्रेम की भाषा बड़ी आसान होती हैं, |
राधा-कृष्ण की प्रेम कहानी ये पैगाम देती हैं..!!
जिसके मिलने के बाद जीने की उम्मीद बाद जाओ समझ लेना वही आपका प्रेम है.
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कृष्ण प्रेम शायरी
कृष्ण कहते है की में विधाता होकर भी विधि के विधान को नहीं टाल सकता, मेरी चाह राधा थी, चाहती मुझको मीरा थी, पर में हो रुवमणि का गया।
मटकी तोड़े, माखन खाए फिर भी सबके मन को भाये,
राधा के वो प्यारे मोहन, महिमा उनकी दुनिया गाये..!!
हर कीमती जीज को उठाने के लिए झुकना ही पड़ता हैं
माँ और पिता का आशीर्वाद भी
इनमें से एक हैं
यदि प्रेम का मतलब सिर्फ पा लेना होता,
तो हर हृदय में राधा-कृष्ण का नाम नही होता।
कहीं कोई कहे छोड़ो, ना सताओ मोरे कान्हा,
मन ही मन प्रीत करे, सब तुझसे सुन कान्हा..!!
गलती हर इंसान से होती है लेकिन गलती सुधारता वहीं इंसान है, जो क दिल का साफ़ होता है और रिश्तों को खोना नही चाहता…
राधे कृष्णा शायरी
राधे-राधे जपो चले आएंगे बिहारी,
आएंगे बिहारी चले आएंगे बिहारी..!!
राधा की कृपा, कृष्णा की कृपा, जिस पर हो जाए,
भगवान को पाए, मौज उड़ाए, सब सुख पाए..!!
जब लोग आपकी बुराई करें तो परेशान न हो क्योकि वे लोग
आपको महत्त्व देने का कोई और तरीका नही जानते.
राधा कृष्ण शायरी इमेज
राधा की चाहत हैं कृष्ण,
उसके दिल की विरासत हैं कृष्ण,
चाहे कितना भी रास रचा ले कृष्ण
दुनिया तो फिर भी यही कहती हैं
राधे कृष्ण राधे कृष्ण.
जैसे राधा ने माला जपि श्याम के नाम की,
मैं भी ओढु चुनरिया तेरे नाम की..!!
प्यार तो हमारा राधा कृष्णा के जैसा ही होगा
चाहे हम एक दूसरे की किस्मत में न हो ||
कृष्ण की प्रेम बाँसुरिया सुन भई वो प्रेम दीवानी,
जब – जब कान्हा मुरली बजाएँ दौड़ी आये राधा रानी !!
जिस पर राधा को मान हैं, जिस पर राधा को गुमान हैं,
यह वही कृष्ण हैं, जो राधा के साथ हर जगह विराजमान हैं..!!
कृष्णा ने राधा से पूछा कि एक ऐसी जगह बताओ जहां मैं नहीं हूं राधा ने मुस्कुराते हुए कहा कि मेरी नसीब में.
प्यार दो आत्माओं का मिलन होता है ठीक वैसे ही जैसे..
प्यार में कृष्ण का नाम राधा और राधा का नाम कृष्ण होता है !!
हे कान्हा.. पूछी गई थी मेरी आखिरी ख्वहिश..
जुबान पर आ गया नाम तुम्हारा !!
राधा कृष्ण दर्द भरी शायरी
ख्वाईश बस इतनी सी,
चाहिए एक छोटा सा पल,
और साथ तुम सिर्फ तुम।।
राधा कृष्ण
सो बार मरना चाह तेरी आँखों में डूबकर..
कन्हैया तुम निगाहे झुका लेते हो, मरने भी नहीं देते !!
प्यार में कितनी बाधा देखी, फिर भी कृष्ण के साथ राधा देखी..!!
हाथों में ले श्याम ध्वजा मन में ले विश्वास, लो चल चले हम खाटू धाम अब पूरे होगी आस।
साँवरे अदभुत नजारा तेरे खाटू में है, बेसहारो का सहारा तेरे खाटू में है।
राधा के सच्चे प्रेम का यह ईनाम है,
कान्हा से पहले लोग लेते राधा का नाम है.
दीवानगी का आलम कुछ ऐसा है राधा के,
दूर से खुशबु आती है तेरे आने के नाम की !!
राधा कृष्ण सुप्रभात शायरी, Radha Krishna Good Morning Shayari
ईश्वर में आस्था है तो उलझनों में भी रास्ता है।
सुप्रभात.
चेहरे पर सदैव मुस्कान का ये मतलब नही की जीवन मे संघर्ष नही है…
बस ईश्वर पर भरोसा ज्यादा है।
सुप्रभात
मिटाने से मिटते नहीं ये भाग्य के लेख
कर्म अच्छे तू करता चल फिर ईश्वर की महिमा देख
सुप्रभात
एक प्यारी सी लाइन उलटी या सीधी कैसे भी पढ़ो अच्छा लगता है।
“है जिंदगी तो अपने है”
सुप्रभात
सबसे बड़ी सेवा है जीवन की खुशियों को दूसरे के साथ बांटना. सुप्रभात !!
जिंदगी प्रयाग करती रहती है छोटी छोटी खुशियां और शिकायतें नहीं है और दौड़ते रहते हैं बड़ी खुशियों के पीछे
सुप्रभात
राधा कृष्ण दर्द भरी शायरी (Best Radha Krishna Sad Shayari In Hindi)
प्रेम इस बारे में नहीं है की
आप कितने दिन, महीने या साल साथ में रहे. प्रेम इस बारे में है की आपने एक दुसरे को हर दिन कितना प्यार किया.
रिश्तों को गलतिया उतना कमजोर नहीं करती जितना एक गलतफेहमी कर देती है ।
राधा कृष्ण दर्द भरी शायरी
किसी से प्रेम करना और उसी से प्रेम पाना बहुत नसीब वालो के साथ ऐसा होता है.
जमाने को क्यो बताऊ क्या हो तुम मेरे लिए तुम्हे खामोशी से चाहना मुझे
अच्छा लगता है.
किसी से प्रेम करना और उसी से प्रेम पाना बहुत नसीब वालो के साथ ऐसा होता है.
पसंद नही मुझे तुम्हे किसी और के साथ बात करते देखना बात शक की नही हक की है.
जिससे प्यार करते हो उसे समझने की कोशिस करो परखने के लिए तो सारी दुनिया पड़ी है.
राधा कृष्ण-विरह शायरी
कान्हा तुझे ख्वाबों में पाकर दिल खो ही जाता है,
खुद को जितना भी रोक लूं प्यार हो ही जाता है.
पर्दा ना कर पुजारी दिखने दे राधा प्यारी ,
मेरे पास वक्त कम है और बाते हैं ढेर सारी.
प्रेम को भी खुद पर गुमान है क्योंकि,
राधा-कृष्ण का प्रेम हर दिल में विराजमान हैं.
दरबार हजारों देखे है, पर ऐसा कोई दरबार नहीं,
जिस गुलशन में तेरा नूर न हो, ऐसा तो कोई गुलजार नहीं.
मोहब्बत की क्या अजब बीमारी है जिंदगी हमारी और इसमे जान बसी तुम्हारी है.
ना पैसा लगता है ना खर्चा
लगता है राधे राधे बोलिये बड़ा अच्छा लगता है.
बात “आदर” और “संस्कार” की होती है वरना जो इंसान सुन सकता है वो सुना भी सकता है.
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कृष्ण-राधा की कहानी
राधा कृष्ण की प्रेम कहानी बहुत कम उम्र में शुरू हुई थी। मान्यता के अनुसार, जब कृष्ण छोटे थे, तब उन्होंने चराने वाली गायों के लिए बांसुरी बजाना शुरू कर दिया था। जब भी कृष्ण बांसुरी बजाते थे, हर कोई और सब कुछ एक समाधि में ले जाया जाता था, पूरी तरह से शुद्ध और सुंदर था। यहां तक कि गोपियां, या काउगर्लें भी, जो वे कर रही थीं, रोक देतीं, कृष्ण को महसूस करतीं, और उनके प्रेम में उनके चारों ओर नृत्य करना शुरू कर देतीं। हालाँकि, एक गोपी, राधा ने उन्हें बंदी बना लिया था। पूरा ब्रह्मांड कृष्ण के लिए तरस रहा था लेकिन वह राधा के लिए तरस रहा था। वे मिले और प्यार हो गया जब वे बहुत छोटे थे।
राधा कृष्ण वृंदावन में तेह उद्यान में मिलते और नृत्य करते थे जो निधिवन (मधुबन) के रूप में नहीं है। यहां तक कि वे सभी तह त्योहार अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ मनाते थे, होली उन त्योहारों में से एक है, जो उनके बीच शुद्ध प्रेम को दर्शाता है। यह स्थान हमेशा राधा कृष्ण के प्रेम स्थान के रूप में याद किया जाता है, भक्त अभी भी इस स्थान पर प्रेम और भक्ति को महसूस करने के लिए आते हैं।
यह भी माना जाता है कि खेलते समय उन्होंने बचपन में शादी कर ली थी, लेकिन उनका कोई गवाह नहीं था और यही कारण है कि राधा को भगवान कृष्ण की पत्नी के रूप में नहीं माना जाता है। हालाँकि, उन्होंने जो प्यार साझा किया, उसका शब्दों में वर्णन करना असंभव है, जब राधा कृष्ण की एक झलक नहीं ले पाई, तो उसने भगवान कृष्ण के घर पर एक दासी के रूप में काम किया, ताकि वह उसे अपनी शादी से पहले रोज़ देख सके लेकिन बाद में उसे एहसास हुआ कि यह उसके पास शारीरिक रूप से मौजूद दूरी बनाए रखने के लिए और अधिक दर्दनाक है और अंत में उसने बिना किसी को बताए जाने का फैसला किया।
राधा कृष्ण की प्रेम कहानी बांसुरी (बांसुरी) के बिना गंभीर रूप से अधूरी है, हर कोई भगवान कृष्ण के अद्भुत नाटक का आनंद लेना पसंद करता है, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि कृष्ण ने इसे राधा के लिए ही बजाया और उसके बाद, उन्होंने कभी भी अपनी बांसुरी का इस्तेमाल नहीं किया। जब उन दोनों को लगा कि अंतिम क्षण आ गया है और उसके बाद उन्हें अलग होना पड़ा, तो भगवान कृष्ण राधा को कुछ देना चाहते थे, लेकिन उन्होंने उनसे कुछ भी लेने से इनकार कर दिया, अंत में, उन्होंने उनके लिए दिव्य संगीत का एक टुकड़ा बजाने के लिए कहा। , उन्होंने राधा के लिए अपना अंतिम नाटक समर्पित किया और उससे वादा किया कि वह इसे फिर कभी नहीं बजाएगा। उन्होंने जो प्यार साझा किया वह बहुत शुद्ध और भक्ति से भरा है; यह स्त्री और पुरुष का सामान्य बंधन नहीं है। राधा कृष्ण की गहरी भक्ति थी।